FOUNDER’S MESSAGE

This Foundation was created in remembrance of my dear departed father, Shri Dharam Pal Gupta. He was born in Alwar, Rajasthan on June 22, 1926. To our immediate family, he was a “man of education” with a kind and benevolent heart, ever willing to help those in need. After graduating from Delhi University with a Bachelor’s and Master’s degree in Philosophy, he taught Philosophy as a Lecturer at Hindu College, Delhi University. Shri Dharam Pal Gupta was a career officer of the Indian Police Service, Rajasthan cadre. He retired in June 1984 with the rank of Director General of Police (“DGP”).

My father was above all else … a philosopher. He was a deep thinker and a voracious reader of books with over a thousand books in his personal library. After retirement, he travelled frequently to Houston, Texas, U.S.A. to witness the formation and growth of my first company. In subsequent years, he studied a variety of subjects including law, economics, geo-politics, and philosophy. I was always awestruck by his sharp intellect and acumen in these varied subjects, which he ably debated with various intellectuals in business settings in Houston.

Philosophically, he believed that “education”, which he defined as “the acquisition of relevant knowledge and experience during our respective lifetimes” was the ultimate equalizer of the differences between people from various backgrounds, whether economic, religious, or cultural. He believed that with essential and critical support of friends and family, every young person, boy or girl, can achieve great success in life. Putting his belief into practice, notwithstanding the financial hardship, my parents forsook all of our family savings to send me to the U.S.A. in 1975 to further my studies in engineering and mathematics. Decades later, I discovered the details of the financial sacrifice made by my parents in a file that contained a bank passbook and a letter describing the terms of the loan he had undertaken to meet my travel and education expenses. The enormity of their sacrifice and their faith in me to have undertaken such a significant financial risk for my benefit, remains my life’s most profound realization and humbling experience.

Establishing this foundation is an appropriate method to honour my father’s memory and legacy. Simultaneously, this allows me to share the fruits of my successes in a special manner with those serving in the Rajasthan Police community, to which I and my family belong, by affording this opportunity to the next generation for select higher education, experience, and success in life. Please Note: The Founders have no malintent to denigrate in any manner the excellent education in science and technology that is available today at various colleges and universities in India. In addition, the Founders recognize that India-based business organizations offer opportunities today that are at par and/or superior to those available in the U.S.A. and other countries. The reason for offering scholarships exclusively at U.S.A.- based institutions is that our diversified business infrastructure is based in Houston, Texas, U.S.A., which makes it easier for the Founders to be engaged with the scholar’s progress, proactively. Additionally, this permits nurturing the professional growth of Foundation scholars after completing their studies

संस्थापक का सन्देश

यह संस्थान मेरे प्रिय पिताजी स्वर्गीय श्री धर्मपालजी गुप्ता की याद में बनाया गया है | उनका जन्म २२ जून १९२६ को अलवर में हुआ | हमारे निकट परिवार में वह “शिक्षा को समर्पित व्यक्ति” के रूप में जाने जाते थे | वह एक दयालु एवं सह्रदय व्यक्ति थे, जो हमेशा जरूरतमंदों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे | उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में स्नातक एवं उच्च स्नातक की पदवी प्राप्त की एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के ही  हिन्दू कॉलेज में दर्शन शास्त्र के व्याख्याता बने | बाद में श्री धर्मपालजी गुप्ता भारतीय पुलिस सेवा (आई पी एस) राजस्थान संवर्ग के अधिकारी रहे जो जून १९८४ को पुलिस महानिदेशक (डी जी पी) के पद से सेवा निवृत्त हुए |

मेरे पिताजी अन्य गुणों के धनी होने के साथ साथ एक दार्शनिक भी थे | वह एक गहन चिंतक थे एवं पुस्तक पठन में गहन रूचि रखते थे | उनके व्यक्तिगत पुस्तकालय में एक हज़ार से भी अधिक पुस्तकों का संग्रह था | अपनी सेवा निवृत्ति के पश्चात वह अक्सर हूस्टन, टेक्सास, अमेरिका आते रहते थे एवं मेरी पहली कंपनी की स्थापना एवं प्रगति के साक्षी रहे | उन्होंने विभिन्न विषयों का जैसे कानून, वित्त शास्त्र,राजनीति, दर्शन शास्त्र का अध्ययन किया | मैँ हमेशा उनकी कुशाग्र बुद्धि एवं विभिन्न विषयों में उनके ज्ञान से आश्चर्यचकित रहता था | उन्होने विभिन्न विषयों पर हूस्टन के कई बुद्धिजीविओं के साथ चर्चा एवं सफल संवाद किया |

दार्शनिक रूप से, उनका विश्वास था कि,शिक्षा,जो उनकी परिभाषा के अनुसार “अपने जीवन काल में समुचित ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त करना था”, समाज के विभिन्न वर्गों के, विभिन्न परिवेशों के लोगों के, चाहे वे आर्थिक, धार्मिक, संस्कारी रूप से अलग हों, समन्वय में सहायक है | उनका मानना था कि परिवार एवं मित्रों द्वारा आवश्यक एवं समीक्षात्मक सहयोग से प्रत्येक युवा (लड़का या लड़की) अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है | इसी विश्वास को जीवन में उतारते हुए उन्होंने अपने जीवन में की गयी संचित पूँजी को मुझे १९७५ में अमेरिका भेजने एवं अभियांत्रिकी एवं गणित की उच्च शिक्षा के लिए खर्च कर दिया |

दशकों बाद मुझे पता चला कि मेरे माता पिता ने मेरी उच्च शिक्षा के लिए कितना बड़ा वित्तीय त्याग दिया | इसकी जानकारी मुझे उस फाइल को पढ़ने पर मिली जिसमें बैंक की पासबुक एवं वह पत्र जिसमें ऋण, जो उन्होंने मुझे अमेरीका भेजने के खर्चों के लिए लिया था, की शर्तें अंकित थी | उनका यह त्याग एवं उनका मुझ पर विश्वास जिसने उन्हें इतना बड़ा वित्तीय जोखिम उठाने के लिए प्रेरित किया, मेरे जीवन का एक गहन एहसास एवं विनम्र करने वाला अनुभव है |

इस संस्थान की स्थापना मेरे पिताजी की याद को जीवित रखने एवं उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का उपयुक्त तरीका है | साथ ही इस कार्य द्वारा, मैं अपनी सफलता को एक विशेष अंदाज़ में राजस्थान पुलिस समुदाय, जिसका मैं एवं मेरा परिवार एक अंग रहा है, के साथ सांझा कर सकता हूँ | यह मैं आने वाली पीढ़ी को उच्च शिक्षा, अनुभव एवं जीवन में सफलता के लिए उनको
अवसर दे कर कर सकता हूँ |

कृपया ध्यान दें, संस्थापक इस देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में दी जाने वाली विज्ञानं एवं तकनीकी क्षेत्र में उच्च स्तर की शिक्षा को निम्नतर आंकने का न तो प्रयास करते हैं और न ही उनकी ऐसी कोई मंशा है | संस्थापक यह मानते हैं कि आज भारतीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थाएं विश्व स्तरीय या उससे भी उत्तम शिक्षा जो अमेरिका या अन्य देशों में उपलब्ध है, देने में सक्षम है |

संस्थापकों द्वारा केवल अमेरिका में ही शिक्षा के लिए छात्र वृत्ति प्रदान करने का यह कारण है कि संस्थापकों का विविध क्षेत्रों में फैला व्यापर हूस्टन, अमेरिका में स्थित है, जिससे संस्थापक छात्रवृत्ति धारकों के साथ निकट संपर्क में रह सकें एवं सकारात्मक रूप से उनकी उन्नति में सहयोग कर सकें | इसके अलावा छात्रवृत्ति धारकों की शिक्षा समाप्ति के पश्चात व्यावसायिक सफलता में सहयोग कर सकते हैं |